जब शहर में तुम्हारे, फूल खिलेंगे।
और भँवरे सारे महकेंगे-
खुशबु उनही की लिये।
और दूर किसी गाँव से ठंडी हवा,
गर्माहट को दिल की बुझाएगी।
फिर चाँद झील में झांकेगा,
और चेहरा खुद का वो ताकेगा।
और तुम होँगे बैठे वहाँ,
बस पैर डुबोये पानी में।
तो क्या करोगे?
जब फूल कोई एक भँवरे को,
नशे से पूरा भर देगा।
गुलामी वो खुशबुओं की,
फिर करता ही जायेगा।
जीता हुआ भी मरता सा जायेगा।
और पुरे शहर की गर्माहट,
दुल में तुम्हारे जब होगी।
फिर चाँद सी तुम-
चांदनी को झील में देखोगी।
और में बैठा होऊंगा,
पैर डुबोये पानी में।
तो क्या करोगे!
No comments:
Post a Comment